राजस्थान के लोकगीत एवं लोक नृत्य भाग -1 Rajasthan Ke Lokgeet v Nrtay Question In Hindi - Best || RAJASTHAN LAB ASSISSTANT 2022 #RAJ_GK

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हेल्लो दोस्तों स्वागत है आपका हमारी website पर तो दोस्तों आज में आपको राजस्थान के लोकगीत एवं लोक नृत्य टॉपिक के बारे में बारे में पढने वाले है इस टॉपिक से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी इस पोस्ट में आपको पढने को मिलेगी इस पोस्ट में आपको राजस्थान के प्रमुख लोकगीत गीत के बारे में पढने को मिलेगा जो विभिन्न परीक्षायो के लिए महत्वपूर्ण है तो पोस्ट को पूरा पढ़िए. यदि आपको पोस्ट अच्छी लगी हो तो तो इसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर करे…|

राजस्थान के लोकगीत एवं लोक नृत्य - Rajasthan Ke Lokgeet & Nrtay

लोकगीतों की दृष्टि से समर्थ प्रदेश राजस्थान में लोगों का उल्लास प्रेम करुणा सुख-दुख इत्यादि की व्यंजना लोकगीतों के माध्यम से प्रतिबिंबित है लोकगीत सहज रूप से कंठ से निकली अभिव्यक्ति है जिस की स्वर लहरियां पग-पग पर प्रवाहित होती है लोकगीतों की मुख्य विशेषता यह होती है कि इसका रचयिता व्यक्ति विशेष ने होकर संपूर्ण समाज होता है तथा इसमें स्थान परिवर्तन के साथ ही परिवर्तन देखने को मिलता है


राजस्थान में गाए जाने वाले प्रमुख लोकगीत

इंडोनी

मारवाड़ में प्रचलित इस लोकगीत को स्त्रियां पनघट पर पानी भरने जाते समय गाती है इसके बोल निम्न है
पड़ोसन बड़ी चकोर ले गई इंडोनी
इंडोनी रे कारण म्हारी सासु बोले बोल गम गई इंडोनी

पनिहारी

पनिहारी पानी भरने जाने वाली स्त्री के प्रति वर्ष धर्म पर अटल रहने को लोकगीत के माध्यम से दिखाया जाता है इसके बोल निम्न है
गणेश जी खुदाया कुआ बावड़ी पनियारी जी रे
लो चलो साथीडा रे लारे वालाजी

घूमर

राजस्थानी लोक नृत्य घूमर के साथ विभिन्न पर्वों एम तिहारो विशेषता गणगौर के अवसर पर घूमर लोकगीत गाया जाता है मारवाड़ में इसे लूर कहते हैं
मारी घूमर है नखराली ए मां घूमर रमवा में जस्या


गोरबंद

ऊंट का सिंगार करने हेतु काठी के पास से गर्दन तक बांधा जाने वाला आभूषण गोरबंद कहलाता है शेखावाटी में मरुस्थलीय क्षेत्र में प्रचलित गोरबंद गीत में ऊंट के सिंगार का वर्णन है इस लोकगीत को सांसी कंजर बालिकाएं एवं मारवाड़ में झुमरिया करती हुई बालिकाएं भी गाती है इसके बोल निम्न है
गाया चरावती गोरबंद गुथियो
भेंस्या चरवती पॉयो म्हारा राज म्हारो गोरबंद नखरालो

बन्ना बन्नी

किशोर किशोरी को राजस्थान में बन्ना बन्नी कहा जाता है जिसकी शादी होने वाली है उसे बनड़ा बनड़ी कहते हैं

बंजारा

बंजारा व बंजारी के प्रश्न उत्तर पर आधारित इस लोकगीत को उंटो पर बैठकर लंबी यात्रा करते समय कतारिये गाते हैं

बिछुडो

हाडोती क्षेत्र में प्रचलित गीत जिसमें एक पत्नी जिसे बिच्छू ने डस लिया है वह अपने पति को कहती है कि मेरे मरने की पश्चाताप दूसरा विवाह कर लेना

जीरो

एक किसान की पत्नी अत्यधिक मेहनत के बाद जीरे के फसल में नुकसान होने पर दुखी होकर अपने पति को संबोधित करते हुए जीरा नहीं बोलने की विनती करती है इसके बोल निम्न है
योग जीरो जीव रो बेरी रे मत पाओ म्हारा परण्या जीरो पानत करती रह पगलया घिस गया कड़ला घस गया चांदी रा

कागा

वीरह गीत जिसमें विरहिणी नायिका कोए को प्रलोभन देकर उड़ाना चाहती है जिससे वह अपने प्रियतम के अन्य पर शगुन जानना चाहती है इसके बोल निम्न है
उड उड रे मारा काला रे कागला मारो पिया घर आवे खीर खांड रा जीमन जीमावू सोना म चोंच मडाऊ म्हारा कागा जद म्हारा पिवजी घर आवे

चिरमी

एक नवविवाहिता ससुराल में अधिक दिन होने पर अपने भाई व पिता की प्रतीक्षा के समय की मनोदशा को चिरमी पेड़ के माध्यम से बताती है इस मनोदशा का चित्रण चिरमी गीत में किया गया है

लांगुरिया

कैला देवी के मेले में नवयुवकों विशेषता मीणा नवयुवक द्वारा किए जाने वाले लांगुरिया नृत्य के समय लांगुरिया गीत गाते हैं

लावणी

राजा मोरध्वज गोपीचंद राजा भरतरी आदि प्रसिद्ध लावण्या है लावणी का शाब्दिक अर्थ बुलावा है जो नायक द्वारा नायिका को बुलावे के अर्थ में गाई जाती है

पावणा

किसी घर ब्याहा गया व्यक्ति उस घर पावणा जवाई कहलाता है और पावणी को भोजन कराते समय तथा उसके बाद पावणा गीत गाए जाती है भोजन के पश्चात पावणा उन गीतों का लाभ रकम झुकाता है

मायरा बात

भाई के द्वारा बहन के लड़के या लड़की के विवाह के अवसर पर बहन को चुनरी उड़ाता है तथा बहन व उसके परिवार जनों हेतु कपड़े वस्त्र आभूषण इत्यादि लाता है उसे बात या मायरा कहती हैं इस अवसर पर मायरा गीत गाए जाते हैं जिससे बहन भाई का ह्रदय द्रव्य प्रेम का वर्णन करता होता है


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